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*गो आधारित ऊर्जा समाधान हेतु आयोग की पहल – बायोगैस योजनाओं के विस्तार पर मंथन*

आज दिनांक 25 जुलाई 2025 को उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग में ग्रामीण क्षेत्रों में वैकल्पिक ऊर्जा के रूप में बायोगैस के संभावनाओं पर एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर Systema.bio कंपनी के प्रतिनिधि मंडल द्वारा आयोग के समक्ष अपनी कार्यप्रणाली एवं प्रौद्योगिकी आधारित अनुभव प्रस्तुत किए गए, जो ग्रामीण स्तर पर व्यक्तिगत किसानों के लिए कम लागत में बायोगैस संयंत्र की स्थापना से संबंधित है।

आज की बैठक में Systema.bio कंपनी का कार्य‑व्यावसायिक प्रेजेण्टेशन हुआ, जिसमें उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में व्यक्तिगत किसानों के लिए अत्यंत किफायती और टिकाऊ biogas प्लांट्स की स्थापना की अपनी दीर्घकालिक योजनाओं का परिचय दिया।

•कंपनी ने भारत में 24 राज्यों में 100,000 से अधिक biogas यूनिट्स स्थापित कर चुकी है, जिससे 6 लाख से अधिक ग्रामीण जनसंख्या को स्वच्छ ऊर्जा और जैव‑उर्वरक प्राप्त हुआ है।
•इन परियोजनाओं की सहायता से 692,000+ टन CO₂ समतुल्य उत्सर्जन कम किया गया, 15 मिलियन टन जैव‑अपशिष्ट संसाधित किए गए, और 1 मिलियन हेक्टेयर से अधिक भूमि जैव‑उर्वरक द्वारा उर्वरित की गई।
•परियोजनाएँ MNRE द्वारा प्रमाणित हैं और कंपनी ने NDDB, Amul, Nestlé, Danone, Infosys जैसी संस्थाओं के साथ सहयोग किया है ।
•उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से 2024‑25 में 2,250 biogas प्लांट्स की स्थापना का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें किसानों की हिस्सेदारी मात्र ₹3,990 थी, जबकि शेष राशि सरकारी सहायता और कार्बन क्रेडिट से पूरित की गई।

बैठक की अध्यक्षता कर रहे आयोग के अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्त ने कहा कि,

“बायोगैस को केवल ईंधन का विकल्प न मानकर इसे ग्राम ऊर्जा स्वराज और पर्यावरणीय संतुलन का आधार बनाना होगा। यह गौवंश आधारित अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के साथ-साथ ग्रामीण समाज को आत्मनिर्भर बना सकता है।”

उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि आज की आवश्यकता केवल योजना बनाना नहीं, बल्कि उसका धरातल पर क्रियान्वयन सुनिश्चित करना है। गोशालाओं से निकलने वाले गोबर का बेहतर उपयोग, जैसे कि बायोगैस उत्पादन और जैविक कृषि के लिए स्लरी का प्रयोग, आयोग की प्राथमिकताओं में शामिल है।

बैठक में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया गया:

•ग्रामीण क्षेत्रों में बायोगैस संयंत्रों की स्थापना हेतु स्थानीय गोशालाओं की भागीदारी कैसे सुनिश्चित की जाए।•गौ आधारित ऊर्जा, जैव उर्वरक, एवं कृषि को एक समग्र मॉडल के रूप में विकसित करने की दिशा में ठोस योजना निर्माण।
•आयोग की देखरेख में प्रशिक्षण, प्रचार और जनजागरूकता अभियान चलाने की आवश्यकता, जिससे अधिक से अधिक किसान और ग्रामीण परिवार इस योजना से लाभान्वित हो सकें।
•ऐसे संयंत्रों के संचालन में महिला समूहों, ग्राम प्रधानों, और युवा उद्यमियों की भागीदारी सुनिश्चित करना।

बैठक में उपस्थित अधिकारियों एवं तकनीकी विशेषज्ञों ने ग्रामीण क्षेत्रों की आवश्यकता और व्यवहारिकताओं को ध्यान में रखते हुए अपनी राय और सुझाव रखे। यह भी तय किया गया कि आयोग द्वारा पायलट स्तर पर कुछ जनपदों में गौशालाओं के माध्यम से बायोगैस इकाइयों की स्थापना की कार्ययोजना तैयार की जाएगी।

उत्तर प्रदेश गो सेवा आयोग गोपालन को केवल संरक्षण के दायरे में सीमित न रखते हुए ग्राम विकास, रोजगार सृजन और प्राकृतिक खेती के स्थायी मॉडल के रूप में स्थापित करने के लिए सतत प्रयासरत है।

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