उत्तर प्रदेश गौ सेवा आयोग सभागार में आयोजित कार्यक्रम में डॉक्टर शुचि वर्मा ने गौमय एवं गौमूत्र से नैनो तकनीक के माधम से सिलिकॉन, पिगमेंट एवं औषधीय घटकों के निर्माण पर किए गए अनुसंधान पर विस्तृत जानकारी दी।

आज गो सेवा आयोग सभागार में आयोजित विशेष व्याख्यान में डॉ. शुचि वर्मा, सहायक प्राध्यापिका, रामजस कॉलेज, दिल्लीविश्विद्यालय द्वारा गौमय एवं गौमूत्र से नैनो तकनीक के माधम से सिलिकॉन, पिगमेंट एवं औषधीय घटकों के निर्माण पर किए गए अनुसंधान पर विस्तृत जानकारी दी।
मुख्य वक्ता डॉ. शुचि वर्मा, ने बताया कि-
अनुसंधान की मुख्य उपलब्धियाँ:
:गौमूत्र में पाए जाने वाले जैविक यौगिकों का प्रयोग कर नैनो-स्तर के सिलिकॉन कणों का निर्माण, जो उच्च गुणवत्ता के इलेक्ट्रॉनिक व औषधीय उपयोगों में कार्यरत हो सकते हैं।
:गौमय (गोबर) से प्राकृतिक पिगमेंट तैयार करना, जो टेक्सटाइल, खाद्य एवं कॉस्मेटिक उद्योग में रासायनिक रंगों का पर्यावरण अनुकूल विकल्प हो सकता है।
: गोमूत्र आधारित एंटीमाइक्रोबियल और एंटीऑक्सीडेंट नैनो उत्पाद, जिनका प्रयोग आयर्वीदिक औषधियों और त्वचा उत्पादों में किया जा सकता है।
इस व्याख्यान का उदेश्य गौवंश आधारित संसाधनों के वैज्ञानिक उपयोग की संभावनाओं को सामने लाना था, जिससे प्रदेश की गौशालाएं वास्तव में आत्मनिर्भर बन सकें और गौ उत्पादों का औद्योगिक व वैश्चिक मूल्य स्थापित हो सके।
अध्यक्ष श्याम बिहारी गुप्त ने अपने उद्वोधन में कहाः
“अब समय है कि हम गो-संवर्धन को आधुनिक विज्ञान से जोडें। गौमूत्र और गोबर जैसे परंपरागत उत्पादों को वैज्ञानिक शोध के माध्यम से सामाजिक, औद्योगिक और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”
इस अवसर पर गो आधारित विज्ञान, जैविक कृषि, ग्रामीण नवाचार एवं प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग पर सारगर्भित संवाद हुआ। कई अनुसंधानकर्ता, शिक्षाविद पशु वैज्ञानिक एवं गौ सेवक इसमें सम्मिलित रहे।