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UP : किसानों को फूलों की बिक्री मण्डी के बाहर करने पर किसी भी प्रकार का मण्डी शुल्क नहीं लिया जायेगा
लखनऊ में एग्रीमॉल का निर्माण तेजी से पूर्ण करने के निर्देश

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य कृषि उत्पादन मण्डी
परिषद, उ0प्र0 के संचालक मण्डल की 171वीं बैठक सम्पन्न
मुख्यमंत्री ने सभी प्रकार के फूलों को विनिर्दिष्ट कृषि उत्पाद की श्रेणी से
हटाकर गैर-विनिर्दिष्ट श्रेणी में रखने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया
मण्डी परिषद केवल एक संस्थागत निकाय नहीं, बल्कि किसानों के
आत्मसम्मान, अधिकार और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रभावी माध्यम : मुख्यमंत्री
किसानों को फूलों की बिक्री मण्डी के बाहर करने पर किसी भी प्रकार
का मण्डी शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए, यह निर्णय छोटे, सीमान्त और
फूलों की मौसमी खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ा सम्बल सिद्ध होगा
मण्डियों की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जहाँ किसान सुविधाजनक,
सुरक्षित और सम्मानजनक ढंग से अपनी उपज का विक्रय कर सके
सभी प्रधान कृषि मण्डी स्थलों में ‘शबरी कैण्टीन’ स्थापित करने के निर्देश
प्रदेश में आवश्यकता के अनुसार नई मण्डियों की स्थापना की जाए,
इसके लिए पी0पी0पी0 मॉडल पर सम्भावनाएं तलाश कर योजनाएं बनाई जाएं
लखनऊ में एग्रीमॉल का निर्माण तेजी से पूर्ण करने के निर्देश
मण्डी परिषद को किसानों के हितों की सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था
को गति देने वाले एक नए मॉडल में परिवर्तित करने की आवश्यकता
मण्डी परिषद द्वारा नई सड़कों का निर्माण एफ0डी0आर0 तकनीक से कराया जाए
सभी मण्डियों में पेयजल, सड़क, शौचालय, विश्रामगृह, विद्युत
जैसी मूलभूत सुविधाएं समयबद्ध ढंग से सुनिश्चित की जाए
प्रदेश में 10 नए मण्डी एवं उपमण्डी स्थलों की स्थापना
की प्रक्रिया शुरू, इनमें से 04 पूरी तरह बनकर तैयार
प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के कृषि संकाय
के छात्र ‘मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना’ के अन्तर्गत लाभान्वित होंगे
आम की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से किसानों को मैंगो प्रोटेक्टिव बैग्स और
इन्सेक्ट फ्लाई ट्रैप्स जैसी सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी
इन्सेक्ट फ्लाई ट्रैप्स जैसी सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी
लखनऊ : 05 जुलाई, 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने फूल की खेती से जुड़े किसानों को बड़ी राहत देते हुए ’सभी प्रकार के फूलों’ को विनिर्दिष्ट कृषि उत्पाद की श्रेणी से हटाकर गैर-विनिर्दिष्ट श्रेणी में रखने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि फूलों की ताजगी अल्पकालिक होती है और यह नाशवान प्रकृति का उत्पाद है। मण्डी तक लाने में समय लगने से फूलों की गुणवत्ता पर असर पड़ता है और किसान उचित मूल्य से वंचित रह जाते हैं। ऐसे में किसानों को फूलों की बिक्री मण्डी के बाहर करने पर किसी भी प्रकार का मण्डी शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए। यह निर्णय विशेष रूप से छोटे, सीमान्त और फूलों की मौसमी खेती करने वाले किसानों के लिए बड़ा सम्बल सिद्ध होगा।
मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद, उत्तर प्रदेश के संचालक मण्डल की 171वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में लिए गए इस निर्णय के बाद अब फूल की खेती करने वाले किसानों को मण्डी परिसर से बाहर व्यापार करने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा, जबकि मण्डी परिसर में उनसे मात्र प्रयोक्ता शुल्क लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मण्डी परिषद केवल एक संस्थागत निकाय नहीं, बल्कि किसानों के आत्मसम्मान, अधिकार और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रभावी माध्यम है। उन्होंने कहा कि मण्डियों की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जहाँ किसान सुविधाजनक, सुरक्षित और सम्मानजनक ढंग से अपनी उपज का विक्रय कर सके। उन्होंने मण्डियों को उत्तरदायी, पारदर्शी और तकनीक-सक्षम बनाते हुए इन्हें राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्यमंत्री जी ने मण्डी परिषद की सभी प्रधान कृषि मण्डी स्थलों में ‘शबरी कैण्टीन’ स्थापित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इन कैण्टीनों का उद्देश्य केवल भोजन उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि सेवा भावना के साथ सस्ता, स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट भोजन सुनिश्चित कराना होना चाहिए। कैण्टीन के लिए भूमि मण्डी परिषद द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए और इनका संचालन गैर-सरकारी या स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किया जाए। इस योजना का मूल भाव ’सेवा’ हो, ‘व्यापार’ नहीं। इससे मण्डियों में आने वाले किसानों, श्रमिकों और आगन्तुकों को बड़ी राहत मिलेगी।
मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिये कि प्रदेश में आवश्यकता के अनुसार नई मण्डियों की स्थापना की जाए और इसके लिए पी0पी0पी0 मॉडल पर सम्भावनाएं तलाश कर योजनाएं बनाई जाएं। उन्होंने लखनऊ के विकल्प खण्ड, गोमतीनगर में एग्रीमॉल के निर्माण कार्य को तेजी से पूर्ण करने के निर्देश देते हुए कहा कि अनावश्यक देरी पर जिम्मेदारों पर नियमानुसार दण्डात्मक कार्यवाही की जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मण्डी परिषद को केवल व्यवस्थागत सुधारों तक सीमित नहीं रखा जा सकता, बल्कि इसे किसानों के हितों की सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था को गति देने वाले एक नए मॉडल में परिवर्तित करने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार इस परिवर्तन के लिए पूरी प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में मण्डी परिषद की कुल आय 1994.55 करोड़ रुपये रही, जो कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की तुलना में 16.2 प्रतिशत अधिक है। यह मण्डी परिषद की आर्थिक स्थिति में सुधार का स्पष्ट संकेत है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में मण्डी एवं उपमण्डी स्थलों के निर्माण, उन्नयन और जीर्णोद्धार हेतु 195.30 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इसके अतिरिक्त, 242.27 करोड़ रुपये की लागत से नए सम्पर्क मार्गों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मण्डी परिषद के पास लगभग 20,000 किलोमीटर लम्बी सड़कें हैं। किसानों की सुविधा सुनिश्चित करते हुए मण्डी परिषद द्वारा नई सड़कों का निर्माण एफ0डी0आर0 तकनीक से कराया जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि सभी मण्डियों में पेयजल, सड़क, शौचालय, विश्रामगृह, विद्युत जैसी मूलभूत सुविधाएं समयबद्ध ढंग से सुनिश्चित की जाएं।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि प्रदेश में 10 नए मण्डी एवं उपमण्डी स्थलों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिनमें से 04 पूरी तरह बनकर तैयार हो गए हैं। जबकि शेष 06 पर निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। बैठक में कृषि शिक्षा से जुड़े छात्रों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया गया। इसके अन्तर्गत यह तय हुआ कि अब प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के कृषि संकाय के छात्र भी ‘मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना’ के अन्तर्गत लाभान्वित होंगे। वर्तमान में यह योजना प्रदेश के 09 विश्वविद्यालयों और 60 महाविद्यालयों में संचालित है।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आम की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्री-हार्वेस्ट मैनेजमेण्ट के अन्तर्गत किसानों को मैंगो प्रोटेक्टिव बैग्स और इन्सेक्ट फ्लाई ट्रैप्स जैसी सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। यह पहल किसानों को कीटों से फसल की रक्षा और बाजार में गुणवत्ता पूर्ण आम पहुंचाने में मदद करेगी।
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मुख्यमंत्री जी आज यहां अपने सरकारी आवास पर राज्य कृषि उत्पादन मण्डी परिषद, उत्तर प्रदेश के संचालक मण्डल की 171वीं बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में लिए गए इस निर्णय के बाद अब फूल की खेती करने वाले किसानों को मण्डी परिसर से बाहर व्यापार करने पर कोई शुल्क नहीं देना होगा, जबकि मण्डी परिसर में उनसे मात्र प्रयोक्ता शुल्क लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मण्डी परिषद केवल एक संस्थागत निकाय नहीं, बल्कि किसानों के आत्मसम्मान, अधिकार और आर्थिक सशक्तिकरण का प्रभावी माध्यम है। उन्होंने कहा कि मण्डियों की व्यवस्था ऐसी होनी चाहिए, जहाँ किसान सुविधाजनक, सुरक्षित और सम्मानजनक ढंग से अपनी उपज का विक्रय कर सके। उन्होंने मण्डियों को उत्तरदायी, पारदर्शी और तकनीक-सक्षम बनाते हुए इन्हें राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
मुख्यमंत्री जी ने मण्डी परिषद की सभी प्रधान कृषि मण्डी स्थलों में ‘शबरी कैण्टीन’ स्थापित करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि इन कैण्टीनों का उद्देश्य केवल भोजन उपलब्ध कराना नहीं, बल्कि सेवा भावना के साथ सस्ता, स्वास्थ्यवर्धक और स्वादिष्ट भोजन सुनिश्चित कराना होना चाहिए। कैण्टीन के लिए भूमि मण्डी परिषद द्वारा निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए और इनका संचालन गैर-सरकारी या स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा किया जाए। इस योजना का मूल भाव ’सेवा’ हो, ‘व्यापार’ नहीं। इससे मण्डियों में आने वाले किसानों, श्रमिकों और आगन्तुकों को बड़ी राहत मिलेगी।
मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिये कि प्रदेश में आवश्यकता के अनुसार नई मण्डियों की स्थापना की जाए और इसके लिए पी0पी0पी0 मॉडल पर सम्भावनाएं तलाश कर योजनाएं बनाई जाएं। उन्होंने लखनऊ के विकल्प खण्ड, गोमतीनगर में एग्रीमॉल के निर्माण कार्य को तेजी से पूर्ण करने के निर्देश देते हुए कहा कि अनावश्यक देरी पर जिम्मेदारों पर नियमानुसार दण्डात्मक कार्यवाही की जाए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मण्डी परिषद को केवल व्यवस्थागत सुधारों तक सीमित नहीं रखा जा सकता, बल्कि इसे किसानों के हितों की सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था को गति देने वाले एक नए मॉडल में परिवर्तित करने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार इस परिवर्तन के लिए पूरी प्रतिबद्धता और संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रही है।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में मण्डी परिषद की कुल आय 1994.55 करोड़ रुपये रही, जो कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की तुलना में 16.2 प्रतिशत अधिक है। यह मण्डी परिषद की आर्थिक स्थिति में सुधार का स्पष्ट संकेत है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में मण्डी एवं उपमण्डी स्थलों के निर्माण, उन्नयन और जीर्णोद्धार हेतु 195.30 करोड़ रुपये की योजनाएं स्वीकृत की गई हैं। इसके अतिरिक्त, 242.27 करोड़ रुपये की लागत से नए सम्पर्क मार्गों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मण्डी परिषद के पास लगभग 20,000 किलोमीटर लम्बी सड़कें हैं। किसानों की सुविधा सुनिश्चित करते हुए मण्डी परिषद द्वारा नई सड़कों का निर्माण एफ0डी0आर0 तकनीक से कराया जाए। उन्होंने निर्देश दिये कि सभी मण्डियों में पेयजल, सड़क, शौचालय, विश्रामगृह, विद्युत जैसी मूलभूत सुविधाएं समयबद्ध ढंग से सुनिश्चित की जाएं।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि प्रदेश में 10 नए मण्डी एवं उपमण्डी स्थलों की स्थापना की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, जिनमें से 04 पूरी तरह बनकर तैयार हो गए हैं। जबकि शेष 06 पर निर्माण कार्य तीव्र गति से चल रहा है। बैठक में कृषि शिक्षा से जुड़े छात्रों के हित में एक महत्वपूर्ण निर्णय भी लिया गया। इसके अन्तर्गत यह तय हुआ कि अब प्रो0 राजेन्द्र सिंह (रज्जू भइया) विश्वविद्यालय, प्रयागराज के कृषि संकाय के छात्र भी ‘मुख्यमंत्री कृषक छात्रवृत्ति योजना’ के अन्तर्गत लाभान्वित होंगे। वर्तमान में यह योजना प्रदेश के 09 विश्वविद्यालयों और 60 महाविद्यालयों में संचालित है।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि आम की गुणवत्ता और उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से प्री-हार्वेस्ट मैनेजमेण्ट के अन्तर्गत किसानों को मैंगो प्रोटेक्टिव बैग्स और इन्सेक्ट फ्लाई ट्रैप्स जैसी सामग्री निःशुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। यह पहल किसानों को कीटों से फसल की रक्षा और बाजार में गुणवत्ता पूर्ण आम पहुंचाने में मदद करेगी।
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