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सेवा का माध्यम बनी फिजियोथेरेपी शिक्षा : एक अद्भुत यज्ञ

यह कार्य केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि एक गहन आत्मिक सेवा का माध्यम बन चुका है

 

सेवा का माध्यम बनी फिजियोथेरेपी शिक्षा — एक अद्भुत यज्ञ

पिछले पाँच वर्षों से हम एक अनोखे उद्देश्य के साथ काम कर रहे हैं — आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन प्रतिभाशाली बच्चों को फिजियोथेरेपी जैसी व्यावसायिक शिक्षा उपलब्ध कराना, वह भी लगभग निःशुल्क या अत्यंत रियायती शुल्क पर। यह कार्य केवल शिक्षा का नहीं, बल्कि एक गहन आत्मिक सेवा का माध्यम बन चुका है।

जहाँ सामान्यतः व्यावसायिक शिक्षा लाखों रुपए में दी जाती है, वहीं हमारे संस्थान में दो वर्षों की शिक्षा का शुल्क मात्र ₹40,000 है, जबकि बाज़ार मूल्य ₹1,60,000 तक होता है। यह लगभग ₹1 लाख की छूट एक आर्थिक सहायता नहीं, बल्कि उन बच्चों के भविष्य को संवारने का यज्ञ है। आज तक 50 से अधिक निर्धन छात्र-छात्राएँ इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं, और अब वे एक सम्मानजनक, आत्मनिर्भर और गरिमापूर्ण जीवन जी रहे हैं।

इस सेवा के मूल में है “विश्रुत”, एक ऐसा दिव्य आत्मा जिसने अपने जीवन को इन बच्चों की सेवा में समर्पित कर दिया। आज भले ही वह हमारे बीच नहीं है, पर हम विश्वास से कह सकते हैं कि वह ऊपर से इन बच्चों को आशीर्वाद दे रहा होगा, उनके हर कदम में मार्गदर्शन कर रहा होगा।

भारत में शायद ही कोई संस्थान ऐसा होगा जो इतनी कम राशि में इतनी गुणवत्तापूर्ण व्यावसायिक शिक्षा प्रदान करता हो। यह केवल एक संस्थान नहीं, एक संवेदनशील सोच और समर्पण का प्रतीक है।

हमारा उद्देश्य केवल डिप्लोमा देना नहीं, बल्कि बच्चों को एक आत्मनिर्भर, मूल्यपरक और संवेदनशील नागरिक बनाना है। यह कार्य चलता रहेगा — जब तक सेवा का दीप जलता रहेगा, और “विश्रुत” की प्रेरणा हमारे साथ है।

यही सच्चा श्रद्धांजलि है — सेवा में समर्पित जीवन।

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